छत्तीसगढ

Mahanadi Water Dispute: 18 अप्रैल को छत्तीसगढ़ में जल विवाद न्यायाधिकरण की टीम का दौरा, 40 वर्ष से चल रहा विवाद

रायपुर, 13 अप्रैल। Mahanadi Water Dispute : छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी के जल को लेकर 40 वर्ष से विवाद चल रहा है। इस विवाद के निपटारे के लिए 18 अप्रैल को जल विवाद न्यायाधिकरण की टीम का छत्तीसगढ़ में दौरा रहेगा। न्यायाधिकरण के अध्यक्ष व सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एएन खानविलकर और उनकी टीम क्षेत्र का दौरा करेगी। गुरुवार को छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग के मंत्री रविंद्र चौबे ने अधिकारियों की बैठक ली और न्यायाधिकरण की टीम के दौरे को लेकर आवश्यक तैयारी करने के निर्देश दिए हैं।

1983 में शुरू हुआ यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। कोर्ट के निर्देश पर महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया गया था। न्यायाधिक सुनवाई हो चुकी है, लेकिन विवाद का हल नहीं निकल पाया है। महानदी के जलस्तर को देखते हुए न्यायाधिकरण अब दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे का स्वरूप तलाश रहा है। ओडिशा सरकार ने 19 नवंबर 2016 को केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय को नदी में जलस्तर घटने और नदी के नीचे की ओर सूखने की शिकायत की थी। इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा दोनों राज्यों के बीच सहमति नहीं बन पाने के बाद महानदी के पानी को लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ दोनों के बीच विवाद को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार ने 12 मार्च 2018 को एक न्यायाधिकरण का गठन किया था।

इसलिए शुरू हुआ विवाद

छत्तीसगढ़ के सीमा से लगे ओडिश के संबलपुर में केंद्र सरकार ने हीरकुंड बंध का निर्माण करवाया है। इस बांध को ओडिशा सरकार को सौंपा गया है। इसके बाद से जब भी इस बांध में जल स्तर नीचे जाता है ओडिशा विवाद शुरू कर देता है। खासकर गर्मियों के समय में बांध में जल स्तर की गिरावट होती है। तो ओडिशा छत्तीसगढ़ से अधिक जल की मांग करता है। इस मामले में छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि हीराकुंड बांध परियोजना के निर्धारित उपयोग का अतिक्रमण कर ओडिशा सरकार द्वारा औद्योगिक और सिंचाई प्रयोजन के लिए अधिक जल का इस्तेमाल किया जा रहा है। लिहाजा, छत्तीसगढ़ इसके लिए कतई जिम्मेदार नहीं है।

बता दें कि छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला स्थित सिहावा पर्वत से महानदी का उद्यम होता है। यह नदी यहां से निकलकर 885 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी तक जाती है। नदी का करीब 285 किलोमीटर का हिस्सा छत्तीसगढ़ में है। पैरी, सोंढुर, शिवनाथ, हसदेव, अरपा, जोंक व तेल इसकी सहायक नदियां हैं। इस नदी पर रुद्री बैराज व गंगरेल बांध छत्तीसगढ़ में और हीराकुंड बांध ओडिशा में है।

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