छत्तीसगढ

Rationalisation Policy : युक्तियुक्तकरण नीति से बदली तस्वीर, हाई स्कूल मरार कसही बाहरा में लौटी शिक्षा की रौनक हिंदी और अंग्रेजी विषयों के मिले व्याख्याता, छात्रों को विषय विशेषज्ञों से मिल रही शिक्षा

रायपुर, 09 जुलाई। Rationalisation Policy : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर युक्तियुक्तकरण नीति ने प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की राह खोल दी है। इस नीति का प्रभाव महासमुंद जिले के शासकीय हाई स्कूल मरार कसही बाहरा में साफ नजर आ रहा है, जहां अब विद्यार्थियों को विषय विशेषज्ञ शिक्षकों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है।

हाई स्कूल मरार कसही बाहरा में लौटी शिक्षा की रौनक हिंदी और अंग्रेजी विषयों के मिले व्याख्याता, छात्रों को विषय विशेषज्ञों से मिल रही शिक्षा

पूर्व में इस विद्यालय में मिडिल और हाई स्कूल के लिए केवल चार शिक्षक ही कार्यरत थे, जो दोनों स्तरों की पढ़ाई का बोझ संभालते थे। खासकर हाई स्कूल स्तर पर हिंदी और अंग्रेजी जैसे प्रमुख विषयों के लिए कोई विशेषज्ञ शिक्षक नहीं था, जिससे विद्यार्थियों को इन विषयों को समझने में कठिनाई होती थी। विद्यार्थियों के पालक भी परेशान थे कि उनके बच्चों को विषय विशेषज्ञों से शिक्षा नहीं मिल रही है, वे अपने बच्चों के भविष्य के लिए 

शिक्षक भानू चंद्राकर ने बताया कि युक्तियुक्तकरण नीति के तहत अब हाई स्कूल में हिंदी और अंग्रेजी विषयों के व्याख्याताओं की पदस्थापना कर दी गई है। इससे न केवल शिक्षण प्रक्रिया में स्पष्टता आई है, बल्कि छात्रों की विषय समझ भी बेहतर हुई है। कक्षा संचालन अब अधिक व्यवस्थित हो गया है और छात्रों में पढ़ाई को लेकर उत्साह बढ़ा है और बच्चों के पालकों में भी आम्तविश्वास बढ़ा है।

फिलहाल इस विद्यालय में 39 छात्र अध्ययनरत हैं, जो अब नियमित रूप से स्कूल आ रहे हैं। शिक्षक उपलब्ध होने से न सिर्फ छात्रों को लाभ हो रहा है बल्कि पालकों में भी संतोष का वातावरण है। उन्हें विश्वास है कि अब उनके बच्चों को वह शैक्षणिक माहौल मिलेगा जो उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए जरूरी है।

शिक्षा विभाग की यह पहल, यदि इसी तरह से सुव्यवस्थित ढंग से जारी रही, तो दूरस्थ और ग्रामीण अंचलों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को साकार किया जा सकेगा। महासमुंद जिले में अन्य विद्यालयों में भी युक्तियुक्तकरण के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। यह नीति न सिर्फ शिक्षक उपलब्धता का संतुलन बना रही है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और परीक्षा परिणामों को भी बेहतर बना रही है।

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