छत्तीसगढ

Proxy System : बड़ी खबर…! ‘पार्षद पति’ संस्कृति पर शासन का कानूनी हंटर…रिश्तेदारों की एंट्री बंद…अब महिला जनप्रतिनिधि ही लेंगी निर्णय…यहां पढ़िए आदेश

रायपुर, 23 दिसंबर। Proxy System : छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों में महिला जनप्रतिनिधियों के नाम पर उनके पति, भाई या अन्य रिश्तेदारों द्वारा कामकाज चलाने की परंपरा पर अब शासन ने सख्त रुख अपनाया है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने एक कड़ा आदेश जारी करते हुए महिला पार्षदों और जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदारों को ‘प्रॉक्सी प्रतिनिधि’ या ‘लायजन पर्सन’ के रूप में नियुक्त करने पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है।

संविधान और मानवाधिकारों का हवाला

विभाग द्वारा जारी पत्र (File No.: VIGI-2904/2/2025-UAD) में स्पष्ट किया गया है कि निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के कार्यों में उनके रिश्तेदारों का हस्तक्षेप न केवल प्रशासनिक नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15(3) और 21 का भी सीधा उल्लंघन है। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस प्रवृत्ति को महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन मानते हुए गंभीर आपत्ति जताई है।

उल्लंघन पर कानूनी कार्रवाई

आदेश में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि किसी महिला जनप्रतिनिधि के कार्यों में परिजन हस्तक्षेप करते पाए गए, तो केवल विभागीय कार्रवाई ही नहीं, बल्कि कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। उल्लंघन की स्थिति में, भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 207, 223 और 316, मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 13 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

सांसद-विधायकों को भी निर्देश

शासन ने सभी आयुक्तों और मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे सांसदों और विधायकों को भी अवगत कराएं कि वे अपने कोटे से किसी भी महिला जनप्रतिनिधि के पारिवारिक रिश्तेदार को नगरीय निकायों में प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त न करें।

क्या होगा असर

इस आदेश के बाद अब नगरीय निकायों (Proxy System) की बैठकों में तथाकथित ‘पार्षद पति’ या रिश्तेदारों की दखलअंदाजी पर रोक लगेगी। फाइलों पर हस्ताक्षर से लेकर बैठकों में निर्णय लेने तक, निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधि को ही स्वयं उपस्थित रहना होगा। शासन ने साफ कर दिया है कि नगरीय निकायों के कामकाज में किसी भी प्रकार का बाहरी हस्तक्षेप बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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