छत्तीसगढ

Police Corruption Case : 11 करोड़ की ज्वेलरी के बदले महज 2000 का चालान…! खैरागढ़ पुलिस पर वसूली का आरोप…SP ने TI सहित 3 को किया सस्पेंड

खैरागढ़, 10 सितंबर। Police Corruption Case : छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में एक बड़ा पुलिसिया भ्रष्टाचार सामने आया है। राजधानी रायपुर के एक बड़े सराफा व्यापारी की लगभग 11 करोड़ रुपए से अधिक की ज्वेलरी को रोककर कथित वसूली करने के गंभीर आरोपों के बाद खैरागढ़ एसपी लक्ष्य शर्मा ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गातापार थाना प्रभारी आलोक साहू, एसआई नंदकिशोर वैष्णव, और प्रधान आरक्षक तैजान ध्रुव को तत्काल निलंबित कर दिया है। साथ ही विभागीय जांच के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।

आरोपों की गंभीरता

शनिवार रात, गातापार थाना क्षेत्र में वाहनों की नियमित जांच के लिए चेकिंग बैरियर लगाया गया था। इसी दौरान मध्यप्रदेश से आ रही एक कार को रोका गया। तलाशी लेने पर कार की सीट के भीतर से करीब 10 किलो सोना बरामद हुआ, जिसकी अनुमानित कीमत 11 करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है।

शुरुआती जांच में कार सवार व्यक्तियों के पास कोई वैध दस्तावेज नहीं पाए गए। हालांकि, बाद में यह दावा सामने आया कि संबंधित व्यापारी के पास सोने के सभी वैध बिल हैं और वह रायपुर सराफा बाजार के एक प्रतिष्ठित व्यापारी हैं, जिनका सालाना टर्नओवर 500 करोड़ रुपए से अधिक है। सोने को महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश होते हुए जंगल के रास्ते छत्तीसगढ़ लाया जा रहा था, और इसे खैरागढ़ के ग्रामीण इलाकों से रायपुर पहुंचाने की योजना थी।

पुलिस पर वसूली के आरोप

जानकारी के अनुसार, कार को चेकपॉइंट पर कई घंटे तक रोके रखा गया। इस दौरान कुछ स्थानीय व्यापारी मौके पर पहुंचे, और मामले को दबाने की कोशिश की गई। आश्चर्यजनक रूप से, थाना प्रभारी ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को देने की बजाय, केवल ₹2000 का मामूली चालान काटकर गाड़ी को छोड़ दिया।

एसपी ने की सख्त कार्रवाई

घटना की सूचना मिलते ही एसपी लक्ष्य शर्मा ने मामले को गंभीरता से लिया और तत्काल तीनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। पुलिस पर लेन-देन और मिलीभगत के आरोप भी लग रहे हैं, जिसे लेकर अब विभागीय जांच जारी है।

पुलिस अब गाड़ी के नंबर के आधार पर पूरी सप्लाई चेन की जांच कर रही है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया जा रहा है कि बरामद किया गया माल ज्वेलरी थी या कच्चा सोना।

यह मामला एक बार फिर पुलिस महकमे में पारदर्शिता और जवाबदेही के सवाल खड़े करता है। प्रशासन की तत्परता से कार्रवाई जरूर हुई है, लेकिन अब निगाहें विभागीय जांच की निष्पक्षता और निष्कर्ष पर टिकी हैं।

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