छत्तीसगढ

Leader of Maoist : हाथ में AK‑47…चेहरे पर शांति और आत्मसमर्पण का ऐतिहासिक क्षण…! माओवादी युद्ध रणनीति के शीर्ष नेता भूपति ने मुस्कराते हुए डाले हथियार…यहां देखें उस क्षण का Video

गडचिरोली/विशेष संवाददाता, 15 अक्टूबर। Leader of Maoist : वो क्षण असाधारण था जब हाथों में हथियार थामे, लेकिन चेहरे पर गहरी शांति और संतुलित मुस्कान लिए, नक्सल आंदोलन के शीर्ष रणनीतिकार और विचारक मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति/सोनू ने महाराष्ट्र सरकार और सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण किया।

भूपति, जो कभी जंगलों में माओवादी युद्धनीति का मस्तिष्क माना जाता था, आज खुद संविधान और लोकतंत्र के सम्मुख नतमस्तक हुआ। उसने न केवल बंदूकें सौंपीं, बल्कि अपने साथ 60 नक्सल साथियों को भी मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया।

लोकतांत्रिक मूल्यों की मौन विजय

जिस चेहरे को सुरक्षा बल वर्षों से तलाश रहे थे, वो अब खुले में था, न गुस्सा, न घबराहट, बस एक गहरी, शांत मुस्कराहट। मानो वर्षों की हिंसा, संघर्ष और वैचारिक भ्रम के बाद कोई आत्मा भीतर से मुक्त हो चुकी हो। भूपति का यह आत्मसमर्पण केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक विचारधारा की अंतर्विरोधी हार और लोकतांत्रिक मूल्यों की मौन विजय है।

वो हाथ जो कभी जंगलों में गोलियाँ चलाते थे, अब उसी हाथ से संविधान की राह पर चलने का संकल्प ले चुके हैं। और वो चेहरा, जो कभी भय का प्रतीक था, अब समाज की ओर संवाद और समर्पण का संदेश दे रहा है।

बता दें कि, भूपति को ₹6 करोड़ का इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण के साथ-साथ सुरक्षा बलों को 50 से अधिक हथियार भी सौंपे गए हैं। इस कदम को राज्य और केंद्र की अनूप ऑपरेशनों की सफलता और नक्सल आंदोलन की अंदरूनी दरारों का संकेत माना जा रहा है।

यह आत्मसमर्पण नक्सल आंदोलन के लिए एक गंभीर धक्का माना जा रहा है। भूपति के कृत्य ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अंदरूनी दबाव, सुरक्षा बलों की कार्रवाई और नक्सल नेटवर्क में दरारें उस स्तर तक पहुँची हैं कि शीर्ष नेतृत्व भी खुलेआम हथियार डालने को विवश हुआ है।

यह आत्मसमर्पण भारत सरकार व महाराष्ट्र सरकार के लिए एक राजनीतिक एवं सुरक्षा दृष्टिकोण से बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। पुलिस और सुरक्षा बलों ने इसे नक्सल प्रभावित इलाकों में संचालन तीव्र करने के लिए एक अवसर के रूप में लिया है।अब सवाल यह है कि क्या इस कदम से और भी नक्सल कार्यकर्ता आत्मसमर्पण करेंगे, और क्या यह आंदोलन पूरी तरह कमजोर हो जाएगा।

भूपति के कारनामों की सूची

भूपति एक प्रमुख नक्सली नेता था जो कई बड़े नक्सली अभियानों में शामिल रहा था। उसके खिलाफ़ विभिन्न राज्यों में कई मामले दर्ज हैं। भूपति पर छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में बड़े हमलों और साजिशों में शामिल होने के आरोप हैं। वह नक्सली संगठन के शीर्ष नेताओं में से एक था और पोलित ब्यूरो का सदस्य था। भूपति नक्सली संगठन के वित्तीय मामलों को संभालने में भी शामिल था।

भीमा मंडावी हत्याकांड मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) उसकी तलाश कर रही थी। भूपति का नेटवर्क छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में फैला हुआ था। भूपति पर लगभग 6 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। उसे नक्सली आंदोलन के सबसे बड़े नेताओं में से एक माना जाता था।

आत्मसमर्पण करने का कारण

रिपोर्ट्स के अनुसार, भूपति ने यह दावा किया कि हथियारबंद संघर्ष विफल हो गया है और माओवादी आंदोलन को संवाद व शांति की ओर जाना चाहिए। रिपोर्टों में कहा गया है कि संगठन की शीर्ष नेतृत्व के साथ मतभेदों और संघर्षों के कारण उन्होंने हथियार छोड़ने का निर्णय लिया।

भूपति ने उन रिपोर्टों में यह भी उल्लेख किया कि जनता समर्थन कम हो गया था और माओवाद की सोच अब लोगों तक पहुंच नहीं पा रही थी। विश्लेषण बताते हैं कि भूपति के पास शहरी नक्सल नेटवर्क, समर्थक नेटवर्क, लॉजिस्टिक्स प्रणाली आदि की जानकारी हो सकती है।

आत्मसमर्पण के समय 54 हथियार बरामद किए गए, जिनमें AK‑47, INSAS आदि शामिल बताए गए। आत्मसमर्पण भूपति ने 60 अन्य माओवादी साथियों के साथ गढचिरोली (महाराष्ट्र) में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया।

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