नई दिल्ली, 10 अप्रैल। Income Tax New Rules : टीडीएस कटौती को लेकर नियोक्ता को अपने इंप्लॉयी से स्पष्टीकरण लेना आवश्यक है। अब नियोक्ता मनमर्जी से ऐसा नहीं कर सकेंगे। यह स्पष्टीकरण रिजीम चुनाव के विकल्प पर सहमति को लेकर होगा। इस संबंध में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने दिशानिर्देश भी जारी किए हैं।
वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए दो टैक्स रिजीम का विकल्प टैक्सपेयर्स को दिया है। इसमें से कोई एक टैक्स रिजीम टैक्सपेयर्स चुन सकते हैं। बता दें कि नई टैक्स स्लैब डिफॉल्ट है, इसलिए जिन नौकरीपेशा टैक्सपेयर्स को ओल्ड टैक्स रिजीम की टैक्स स्लैब पसंद है तो उन्हें ओल्ड टैक्स रिजीम चुननी होगी।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कहा है कि नियोक्ता अपने कर्मचारी से टैक्स रिजीम चुनने को लेकर स्पष्ट कर लें और उसके बाद ही टीडीएस कटौती करें। क्योंकि, ओल्ड टैक्स रिजीम में निवेश पर छूट और कटौती की सुविधा पहले की तरह की मिलेगी. जबकि, नई टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब कम हैं, लेकिन छूट कोई नहीं है।
ऐसे में नौकरीपेशा टैक्सपेयर्स निवेश के तहत छूट का लाभ पाना चाहते हैं तो उन्हें ओल्ड टैक्स रिजीम चुननी होगी. यदि वे 7 लाख सालाना कमाई पर टैक्स से बचना चाहते हैं तो उन्हें नई टैक्स रिजीम चुननी होगी। इसलिए नियोक्ता को टीडीएस कटौती से पहले अपने कर्मचारियों से टैक्स रिजीम चुनाव के फैसले पर स्पष्टीकरण लेना आवश्यक है।
नई टैक्स रिजीम के तहत टैक्स स्लैब और टैक्स रेट
- 0-3 लाख रुपये कमाई पर टैक्स रेट शून्य फीसदी टैक्स
- 3-6 लाख रुपये पर टैक्स 5 फीसदी टैक्स
- 6-9 लाख रुपये सालाना पर 10 फीसदी टैक्स
- 9-12 लाख रुपये कमाई पर 15 फीसदी टैक्स
- 12-15 लाख कमाई सालाना पर 20 फीसदी टैक्स
- 15 लाख आय पर 30 फीसदी टैक्स
ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत टैक्स स्लैब और टैक्स रेट
- 2.5 लाख तक कमाई पर शून्य फीसदी टैक्स
- 2.5 लाख से 5 लाख तक सालाना आय पर 5 फीसदी टैक्स
- 5 लाख से 10 लाख कमाई पर 20 फीसदी टैक्स
- 10 लाख से ऊपर सालाना आय पर 30 फीसदी टैक्स