छत्तीसगढ

Gaushala Monitoring : छत्तीसगढ़ में गौशालाओं की कड़ी निगरानी शुरू…! जिला और विकासखंड स्तर पर समितियां गठित…आदेश जारी यहां देखें जंबो List

रायपुर, 08 अक्टूबर। Gaushala Monitoring : छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में पशुधन विकास से जुड़ी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और निगरानी के लिए जिला स्तरीय और विकासखंड स्तरीय समितियों का गठन किया है। इन समितियों में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति तीन वर्षों की अवधि के लिए की गई है। इस संबंध में पशुधन विकास विभाग द्वारा आदेश जारी कर दिए गए हैं, जिसमें समितियों की भूमिका, जिम्मेदारियां और कार्यप्रणाली को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं।

समितियों की जिम्मेदारियां

जारी आदेश के अनुसार, जिला स्तरीय और विकासखंड स्तरीय समितियां निम्नलिखित कार्यों की निगरानी और क्रियान्वयन करेंगी, गौशालाओं का पर्यवेक्षण और निरीक्षण। छत्तीसगढ़ कृषिक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004, गौसेवा आयोग अधिनियम 2004, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 सहित अन्य संबंधित नियमों के क्रियान्वयन में सहयोग। जैविक खेती, जैविक खाद एवं पंचगव्य उत्पादन से जुड़े प्रशिक्षणों की व्यवस्था और निगरानी। गौशालाओं के पंजीयन हेतु आवेदन की प्रक्रिया में अनुशंसा और मूल्यांकन।

समिति की बैठकें और रिपोर्टिंग व्यवस्था

जिला स्तरीय समिति हर दो माह में एक बार, जबकि विकासखंड स्तरीय समिति प्रत्येक माह बैठक करेगी। बैठक की अध्यक्षता संबंधित समिति के अध्यक्ष करेंगे। यदि अध्यक्ष अनुपस्थित हों तो उपस्थित सदस्यों में से किसी एक को अस्थायी अध्यक्ष चुना जा सकता है। बैठकों का आयोजन और अन्य व्यवस्था समिति के सदस्य सचिव द्वारा की जाएँगी।

त्रैमासिक निरीक्षण और रिपोर्टिंग

विकासखंड स्तरीय समितियां हर तीन माह में एक बार संबंधित गौशालाओं (Gaushala Monitoring) का निरीक्षण करेंगी और अनुदान की उपयोगिता, अधोसंरचना, पोषण आहार व्यवस्था, पशुधन की सेहत आदि का मूल्यांकन करेंगी। निरीक्षण की रिपोर्ट जिला स्तरीय समिति को सौंपी जाएगी। यदि किसी गौशाला में अव्यवस्था पाई जाती है, तो उसकी सूचना गौसेवा आयोग को दी जाएगी।

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