छत्तीसगढ

Crying Newborn : मनेन्द्रगढ़ की कड़ाके की ठंड…! सड़क किनारे झोले में बिलखता मिला नवजात…ग्रामीणों ने दिखाई अद्वितीय मानवता…यहां देखें Video

मनेंद्रगढ़, 23 नवम्बर। Crying Newborn : एक दिल दहला देने वाली घटना ने मनेंद्रगढ़ शहर को शर्मसार कर दिया, जब ठंड की रात में एक अज्ञात माता-पिता ने अपने नवजात शिशु को झोले में छोड़ दिया, लेकिन इसके बाद जो हुआ, वह एक अद्वितीय मानवता की मिसाल बन गया।

घटना सिद्ध बाबा घाट के नीचे वन मंडल डिपो के पास की है, जहां सर्दी से कांपते नवजात को कड़कड़ाती ठंड में सड़क किनारे छोड़ दिया गया था। सुबह साढ़े 5 बजे जब कुछ लोग अपनी सुबह की सैर पर निकले, तो उन्होंने शिशु की मासूम आवाज़ सुनी। बच्ची की रोने की आवाज़ ने उन्हें रोक लिया, और जब उन्होंने देखा, तो द्रवित हो गए। एक छोटे से बच्चे को बेसहारा और ठंड में छोड़ दिया गया था।

मानवता की मिसाल

यह आवाज़ सीधे गांव के सरपंच सोनू तक पहुंची। बिना समय गंवाए, सोनू और गांव के कुछ संवेदनशील लोग दौड़ते हुए शिशु के पास पहुंचे और उसे तुरंत उठाकर अस्पताल ले गए। अस्पताल में डॉक्टरों और स्टाफ ने तुरंत बच्चे की देखभाल शुरू की और उसे अपनी निगरानी में ले लिया। डॉक्टरों के अनुसार, बच्ची पूरी तरह से सुरक्षित है और अब धीरे-धीरे सामान्य हो रही है।

गाँव वालों की तत्परता और मानवीय संवेदनशीलता ने नवजात की जान बचाई। इस बीच पुलिस भी अस्पताल पहुंची और मामले की जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई करने के लिए तैयार हो गई।

यह सिर्फ एक अपराध नहीं था, बल्कि यह एक वास्तविक जीवन की कहानी है, जिसमें गाँव के लोगों ने अपनी संवेदनशीलता और एकजुटता का परिचय दिया। डिपो के पास यह घटना घटी, जो उस समय किसी भी तरह से अनहोनी लग रही थी, लेकिन इसके बाद गाँव के लोगों ने यह साबित किया कि इंसानियत अभी भी जिंदा है।

अस्पताल में इलाज

खंड चिकित्सा अधिकारी एस एस सिंह ने बताया कि नवजात शिशु को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और अब बच्ची की स्थिति स्थिर है। अगले पांच दिनों तक बच्ची का इलाज किया जाएगा, ताकि वह पूरी तरह स्वस्थ होकर अंबिकापुर भेजी जा सके।

पुलिस की कार्रवाई

इस घटना के बाद एसआई मनीष तिवारी ने कहा कि अज्ञात माता-पिता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और पुलिस जल्द ही आरोपियों को पकड़ने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने यह भी कहा कि मामले को गंभीरता से लिया गया है और न्याय दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।

संवेदनशीलता का यह संदेश

यह घटना सिर्फ पुलिस और चिकित्सा व्यवस्था तक सीमित नहीं रही, बल्कि गांव के लोगों ने एक सच्ची संवेदनशीलता और इंसानियत की मिसाल पेश की। जब भी दुनिया में नफरत और असंवेदनशीलता का माहौल हो, ऐसे वक़्त में यह घटनाएँ हमें यह याद दिलाती हैं कि मानवता और संवेदनशीलता अभी भी हमारे बीच जीवित है।

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