छत्तीसगढ

CG Mahila Aayog : 28 वर्षीय महिला ने 17 वर्षीय लड़के के साथ बनाए शारीरिक संबंध…! जनसुनवाई में नाबालिग से की 50 लाख की मांग…आयोग ने बाल आयोग को सौंपा केस…चौंकाने वाले मामले

रायपुर, 18 सितंबर। CG Mahila Aayog : छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने बुधवार को एक 28 वर्षीय महिला द्वारा लगाए गए शारीरिक शोषण के आरोपों की सुनवाई से इनकार कर दिया। आयोग ने स्पष्ट किया कि मामला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है, क्योंकि इसमें एक 17 वर्षीय नाबालिग लड़का शामिल है। अब यह प्रकरण राज्य बाल संरक्षण आयोग को सौंप दिया गया है, जो मामले की आगे जांच करेगा।

क्या है मामला?

रायपुर निवासी 28 वर्षीय महिला ने राज्य महिला आयोग के समक्ष पेश होकर आरोप लगाया कि उसका शारीरिक शोषण हुआ है और उसने आरोपी से 50 लाख रुपये मुआवजे की मांग की है। महिला ने दावा किया कि दोनों के बीच सहमति से संबंध बने थे और वह इस रिश्ते को लेकर गंभीर थी, लेकिन बाद में दोनों के बीच विवाद हो गया, जिसके बाद उसने आयोग में शिकायत दर्ज कराई।

नाबालिग की उम्र का हुआ खुलासा

मामले में आरोपी लड़के के माता-पिता आयोग के समक्ष उपस्थित हुए और उन्होंने अपने बेटे की उम्र साबित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और स्कूल के दस्तावेज प्रस्तुत किए। सभी दस्तावेजों के अनुसार, लड़का वर्तमान में केवल 17 वर्ष का है, यानी वह बालिग नहीं है और शादी की कानूनी उम्र से भी चार वर्ष छोटा है।

महिला का कहना है कि उसे लड़के की असली उम्र की जानकारी नहीं थी। फरवरी में जब वह पुरानी बस्ती थाने पहुंची, तभी पहली बार उसे नाबालिग की उम्र का पता चला। दोनों के बीच करीब 11 साल का अंतर है।

आयोग की प्रतिक्रिया

जनसुनवाई के दौरान महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने स्पष्ट किया कि चूंकि इस मामले में नाबालिग शामिल है, इसलिए यह मामला महिला आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। डॉ. नायक ने आदेश जारी करते हुए कहा कि पूरा प्रकरण राज्य बाल संरक्षण आयोग को भेजा जा रहा है। संबंधित अधिकारियों को पत्र भेजने के निर्देश भी दिए गए हैं ताकि आगे की कार्रवाई वहीं से की जा सके।

आगे की प्रक्रिया

अब यह मामला बाल संरक्षण आयोग के पास भेज दिया गया है। वहां दोनों पक्षों को फिर से बुलाकर बयान लिए जा सकते हैं और कानूनी प्रक्रिया के तहत आगे की जांच की जाएगी। चूंकि मामला नाबालिग से जुड़ा है, इसलिए विशेष कानूनों के तहत कार्रवाई की संभावना है।

चूंकि प्रकरण में एक नाबालिग शामिल है, इसलिए संबंधित विभागों (CG Mahila Aayog) द्वारा गोपनीयता और संवेदनशीलता बरतने की आवश्यकता है। मामले की जांच और कानूनी प्रक्रिया पूरी होने तक किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button