CG Farmer Honor Ceremony : धान की सीधी बुआई से 25 प्रतिशत पानी और प्रति हेक्टेयर 6 हजार रूपये लागत में कमी
![CG Farmer Honor Ceremony: Direct sowing of paddy reduces 25 percent water and cost of Rs 6 thousand per hectare.](https://todaynewshindi.com/wp-content/uploads/2024/02/1708439884_08d6107994420b0e88a6-e1708440907708.jpeg)
रायपुर, 20 फरवरी। CG Farmer Honor Ceremony : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, फिलिपींस एवं बायर क्रॉप साइंस लिमिटेड के सहयोग से आज यहां धान की सीधी बुवाई तकनीक पर एक दिवसीय कार्यशाला एवं कृषक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कृषि महाविद्यालय रायपुर के संगोष्ठी कक्ष में आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य कृषकों तक धान की सीधी बुवाई हेतु उन्नत तकनीकी जैसे नई मशीनों से बुवाई, खरपतवार प्रबंधन की नवीन विधियां, संतुलित उर्वरक प्रबंधन, समुचित जल प्रबंधन के माध्यम से संसाधनों का सही उपयोग करते हुए जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना है। संगोष्ठी में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया कि धान की सीधी बुआई तकनीक से लगभग 25 प्रतिशत सिंचाई जल की बचत होती है, प्रति हेक्टेयर लागत में लगभग 6 हजार रूपये की कमी आती है और यह तकनीक पर्यावरण अनुकूल होने के साथ ही मृदा संरक्षण को बढ़ावा देती है।
![इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय](https://dprcg.gov.in/public/uploads/ckeditor/images/1708439873_ae0990995c1688aad403.jpeg)
इस कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान फिलीपींस के वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार समन्वयक उड़ीसा डी.एस.आर. इरी प्रोजेक्ट, ने अपने संबोधन में डी.एस.आर. की सक्सेस स्टोरी एवं उड़ीसा में उसके सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के बारे में बताया साथ ही बायर क्रॉपसाइंस के वैज्ञानिक एवं अधिकारियों ने भी अपने उद्बोधन में धान की सीधी बुवाई में नए प्रयोग एवं भविष्य में आने वाले नए उत्पाद एवं प्रजातियां जो कि अधिक किसानोपयोगी है के बारे में विस्तृत चर्चा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी ने की तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. अजय वर्मा एवं निदेशक प्रक्षेत्र एवं बीज डॉ. एस.एस. टुटेजा उपस्थित थे। डॉ. विवेक त्रिपाठी संचालक अनुसंधान सेवाएं ने अपने उद्बोधन में कृषकों को सीधी बुआई तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग कर इसके अंतर्गत रकबा बढ़ाकर उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. वर्मा एवं डॉ. टुटेजा ने भी कार्यशाला में अपने विचार रखे।
तकनीकी सत्र में पांच विषय विशेषज्ञों द्वारा उद्बोधन दिया गया जिसमें डॉ. अशोक कुमार, डॉ. एस. बी. वेरुलकर, डॉ. आरके नायक, डॉ. सुधांशु मिश्रा एवं डॉ. संजय द्विवेदी ने डीएसआर के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एस. चितले ने भी अपने विचार रखे। उपरोक्त कार्यक्रम में 10 कृषकों को स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया। कृषकों ने खेती से संबंधित अपनी समस्याओं से भी अवगत कराया तथा इसका निदान वैज्ञानिकों द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. संजय द्विवेदी आयोजन सचिव द्वारा किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजन डॉ. जी. के. श्रीवास्तव विभागाध्यक्ष, सस्यविज्ञान सहित बड़ी संखया में कृषि वैज्ञानिक तथा प्रगतिशील कृषक उपस्थित थे। कार्यशाला के पश्चात कृषकों द्वारा प्रक्षेत्र भ्रमण किया गया जिसमें उन्हें विभिन्न फसलों के बारे में जानकारी दी गयी।