छत्तीसगढ

Big Action : बलौदाबाजार से बड़ी खबर…! प्रभारी प्राचार्य ने सरकारी स्कूल का फर्नीचर निजी स्कूलों को बेचा…निलंबन की सिफारिश

बलौदाबाजार, 14 सितंबर। Big Action : शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय टुण्डरा के फर्नीचर को निजी स्कूलों को बेचे जाने के मामले में प्रभारी प्राचार्य रमेश बंजारे की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर दीपक सोनी ने जांच के निर्देश दिए थे, जिसके बाद आरोपों की पुष्टि होने पर निलंबन की अनुशंसा शासन को भेज दी गई है।

क्या है पूरा मामला?

13 सितंबर 2025 (शनिवार) को टुण्डरा नगरवासियों द्वारा यह शिकायत की गई थी कि विद्यालय के शाला प्रबंधन एवं विकास समिति की सहमति से स्कूल का फर्नीचर निजी स्कूलों को बेच दिया गया है। शिकायत मिलने के बाद तहसीलदार टुण्डरा, विकासखंड शिक्षा अधिकारी कसडोल, तथा अन्य अधिकारियों की एक जांच टीम ने तत्काल मौके पर पहुंचकर मौका मुआयना किया।

जांच में क्या सामने आया?

8 सितंबर 2025 को स्कूल की प्रबंधन समिति ने जर्जर भवन को डिस्मेंटल करने और वहां रखे कबाड़ व अनुपयोगी सामान को बेचकर धनराशि को शाला विकास समिति के खाते में जमा करने का निर्णय लिया था। इसी निर्णय के आधार पर प्रभारी प्राचार्य रमेश बंजारे ने दो निजी विद्यालयों, ज्ञान अमृत विद्यालय, टुण्डरा को 67 टेबल-चेयर और धविका पब्लिक स्कूल, शिवरीनारायण को 40 टेबल-चेयर बेच दिए।

नगरवासियों ने रोका फर्नीचर

शनिवार दोपहर करीब 3 बजे जब यह फर्नीचर तीन पिकअप वाहनों में भरकर ले जाया जा रहा था, नगरवासियों ने स्कूल के गेट पर ही उसे रोक दिया। मौके पर पहुंची जांच टीम ने भौतिक सत्यापन कर शिकायत को सही पाया।

जांच टीम ने सभी फर्नीचर को एक कक्षा में सीलबंद कर सुरक्षित रखा है और पंचनामा तैयार कर ताले की चाबी अपने कब्जे में ले ली है।

क्या कहती है जांच रिपोर्ट?

बेचे गए फर्नीचर को कबाड़ नहीं, बल्कि उपयोग के योग्य पाया गया। किसी भी अपलेखन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। न तो फर्नीचर को कबाड़ घोषित किया गया, न ही उच्च कार्यालय से पूर्व अनुमति ली गई। यह कृत्य सिविल सेवा आचरण नियम 1965 का उल्लंघन माना गया है।

आगे की कार्रवाई

कलेक्टर दीपक सोनी के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रभारी प्राचार्य रमेश बंजारे पर निलंबन की कार्रवाई हेतु प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। शासन से अनुमति मिलते ही बंजारे को निलंबित किया जाएगा।

यह मामला शासकीय संपत्ति के दुरुपयोग (Big Action) और प्रशासनिक नियमों की अनदेखी का स्पष्ट उदाहरण है। प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कड़ा संदेश दिया है कि शासकीय संसाधनों की अनदेखी या मनमानी किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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