Axiom-4 : जगन्नाथ की यात्रा और सुधांशु शुक्ला का मिशन, विधायक डॉ. संपत अग्रवाल बोले, भारत ने आस्था और विज्ञान दोनों के रथ एक साथ दौड़ाए, रॉकेट से आत्मा तक की यात्रा, भारत का सिर गर्व से हुआ ऊँचा, विधायक डॉ. संपत अग्रवाल ने दी सुधांशु शुक्ला को शुभकामनाएं

रायपुर/बसना, 25 जून। Axiom-4 : पुरी जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की रथ यात्रा की तैयारियाँ चरम पर हैं, ठीक उसी समय भारत के एक और सपूत ने अंतरिक्ष की ओर रथ साधा है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन सुधांशु शुक्ला ने आज दोपहर 12:01 बजे Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर उड़ान भरी। विधायक डॉ संपत अग्रवाल ने कहा यह संयोग मात्र नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक संकेत जैसा प्रतीत होता है जब धरती पर भगवान अपने भक्तों के बीच निकलते हैं, तब आकाश में भारत का प्रतिनिधि ब्रह्मांड की यात्रा पर निकलता है।
Axiom-4 मिशन में अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी इस मिशन में सुधांशु शुक्ला के साथ हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह मिशन जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही भावनात्मक रूप से ऐतिहासिक भी है क्योंकि 41 वर्षों बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में गया है।

विधायक डॉ. संपत अग्रवाल ने इस ऐतिहासिक अवसर पर अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा पुरी की रथ यात्रा, जिसमें भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी गुंडिचा देवी के घर जाते हैं, आत्मा की यात्रा का प्रतीक मानी जाती है। ठीक उसी तरह, सुधांशु शुक्ला की यह अंतरिक्ष यात्रा भी मानव जिज्ञासा और आत्मिक विस्तार की दिशा में एक कदम है। यह घटना भारत की संस्कृति और विज्ञान के परस्पर सहयोग का प्रतीक बन गई है।
विधायक डॉ अग्रवाल ने कहा अंतरिक्ष से जब शुभांशु शुक्ला ने कहा “मेरे साथ पूरा देश है,तो हर भारतीय की आंखें नम हो गईं, और सीना गर्व से चौड़ा।
विधायक डॉ अग्रवाल ने कहा कि सुधांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के दूसरे नागरिक हैं। उनसे पहले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा थे, जिन्होंने 1984 में सोवियत संघ के साथ मिलकर सोयूज़ टी-11 मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रा की थी। उनके प्रसिद्ध शब्द “सारे जहाँ से अच्छा” आज भी भारतीय अंतरिक्ष यात्रा की स्मृति में गूंजते हैं।
उन्होंने कहा अब चार दशक बाद, सुधांशु शुक्ला ने Axiom-4 मिशन के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर यात्रा कर भारत को फिर एक बार गर्व से भर दिया है।
सुधांशु शुक्ला के पिता ने बताया कि लॉन्च से पहले विशेष पूजा-अर्चना की गई—मानो यह कोई धार्मिक अनुष्ठान हो। यह दर्शाता है कि भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियाँ भी श्रद्धा और परंपरा से जुड़ी होती हैं।
विधायक डॉ संपत अग्रवाल ने कहा कि इस अद्भुत संयोग ने एक बार फिर यह साबित किया है कि भारत की आध्यात्मिक विरासत और वैज्ञानिक प्रगति अब विरोधाभास नहीं, एक-दूसरे के पूरक बनते जा रहे हैं। एक ओर रथों की घंटिया गूंज रही हैं, तो दूसरी ओर रॉकेट की गर्जना ने भारत के आत्मविश्वास को नई ऊँचाई दी है।