छत्तीसगढ

Spiritual vs Material : कथा सेवा या वैभव…? भूपेश बघेल ने शास्त्री के बयान पर किया कटाक्ष…! वरिष्ठ कथावाचक पवन दीवान का उदाहरण देते हुए क्या कहा Ex CM यहां सुनिए VIDEO

रायपुर, 27 दिसंबर। Spiritual vs Material : धर्म, आस्था और सादगी के नाम पर उपदेश देने वाले धार्मिक कथावाचकों की जीवनशैली एक बार फिर बहस का मुद्दा बन गई है। कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक बयान के बाद, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पलटवार करते हुए यह सवाल उठाया कि क्या आज धार्मिक प्रवचन एक आध्यात्मिक सेवा है या धन और प्रभाव हासिल करने का ज़रिया बन रहा है।

पवन दीवान का उदाहरण

इसी संदर्भ में, भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ कथावाचक पवन दीवान का उदाहरण देते हुए, आज के कथावाचकों की अमीरी और सत्ता से उनके करीबी संबंधों पर गंभीर सवाल उठाए।

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बयान पर बड़ा तल्ख हमला बोला है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कथावाचक पवन दीवान का उदाहरण देते हुए मौजूदा समय के कुछ कथावाचकों की जीवनशैली और भूमिका पर सवाल उठाए।

भूपेश बघेल ने कथावाचकों पर उठाए सवाल

Ex CM बघेल ने कहा कि, हमारे छत्तीसगढ़ में बहुत से कथावाचक हैं वे लोग बहुत मुश्किल से अपना आश्रम या घर चला पा रहे हैं, भगवत भजन करते हैं और भक्ति-ज्ञान के बारे में बताते हैं। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े कथावाचक पवन दीवान जी रहे हैं, उनके आश्रम के हालात देख लीजिए। वो मंत्री, सांसद और विधायक भी रहे हैं, जिंदगी भर कथावाचन किए, उनकी स्थिति देख लो और दूसरी तरफ इन धीरेंद्र शास्त्री और प्रदीप मिश्रा की स्थिति देख लो। सरकारी जहाज में घूम रहे हैं, बड़े-बड़े हॉस्पिटल खोल रहे हैं, मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं, करोड़ों-अरबों के मालिक बन गए हैं। जब इनके झाड़-फूंक से, दिव्य दरबार से लोग ठीक हो रहे हैं तो मेडिकल कॉलेज, अस्पताल क्यों खोल रहे हैं?

Ex CM के इस बयान को धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के हालिया वक्तव्य के जवाब के रूप में देखा जा रहा है। बयान सामने आने के बाद धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। समर्थकों और आलोचकों के बीच कथावाचकों की भूमिका, धार्मिक मंचों की मर्यादा और सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता (Spiritual vs Material) को लेकर बहस छिड़ गई है।

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