Guard Of Honor : छत्तीसगढ़ सरकार का बड़ा फैसला…! गार्ड ऑफ ऑनर की परंपरा समाप्त…अब सामान्य दौरों में मंत्रियों और पुलिस अधिकारियों को नहीं मिलेगी सलामी

रायपुर, 24 दिसंबर। Guard Of Honor : छत्तीसगढ़ राज्य में मंत्रियों और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को सामान्य दौरे, निरीक्षण एवं भ्रमण के दौरान दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर (सलामी गारद) की औपनिवेशिक परंपरा को समाप्त कर दिया गया है। गृह विभाग द्वारा इस संबंध में नियमों में संशोधन का आदेश जारी कर दिया गया है, जो तत्काल प्रभाव से लागू होगा।
यह निर्णय उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा की विशेष पहल पर लिया गया है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को गार्ड ऑफ ऑनर की वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा कर आवश्यक बदलाव करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद गृह विभाग ने पुलिस बल को अनावश्यक औपचारिकताओं से मुक्त करते हुए यह संशोधन लागू किया है।
सामान्य दौरों में सलामी गारद पूरी तरह समाप्त
जारी आदेश के अनुसार, अब राज्य के भीतर सामान्य दौरों, आगमन-प्रस्थान, जिला भ्रमण एवं निरीक्षण के दौरान गृहमंत्री, समस्त मंत्रीगण, पुलिस महानिदेशक (DGP) एवं अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सलामी गारद नहीं दी जाएगी। पूर्व में प्रचलित यह व्यवस्था अब पूर्णतः समाप्त कर दी गई है।
सरकार का मानना है कि इससे पुलिस बल का समय और ऊर्जा बचेंगे, जिनका उपयोग कानून-व्यवस्था, सुरक्षा और जनसेवा जैसे मूल दायित्वों के लिए अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा।
राष्ट्रीय व राजकीय आयोजनों में व्यवस्था यथावत
हालांकि यह निर्णय राष्ट्रीय एवं राजकीय समारोहों पर लागू नहीं होगा।
- गणतंत्र दिवस (26 जनवरी)
- स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त)
- शहीद पुलिस स्मृति दिवस (21 अक्टूबर)
- राष्ट्रीय एकता दिवस (31 अक्टूबर)
- राजकीय समारोह एवं पुलिस दीक्षांत परेड
जैसे अवसरों पर सलामी गारद की व्यवस्था पूर्ववत बनी रहेगी।
संवैधानिक पदों के लिए प्रोटोकॉल जारी रहेगा
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि संवैधानिक पदों पर आसीन महानुभावों एवं विशिष्ट अतिथियों के लिए प्रोटोकॉल के तहत गार्ड ऑफ ऑनर की व्यवस्था पहले की तरह लागू रहेगी।
सरकार ने इसे प्रशासनिक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा है कि इससे औपनिवेशिक सोच से जुड़ी परंपराओं को समाप्त करने के साथ-साथ पुलिस बल की कार्यक्षमता में सकारात्मक सुधार आएगा।





