CGSWC : महिला आयोग की जनसुनवाई…! मातृत्व से धोखा, वेतन विवाद और पारिवारिक झगड़ों पर सख्त रुख

रायपुर, 15 सितंबर। CGSWC : छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज आयोग कार्यालय, रायपुर में महिला उत्पीड़न से जुड़े विभिन्न मामलों की सुनवाई की गई। यह प्रदेश स्तर पर 344वीं एवं रायपुर जिले में 163वीं जनसुनवाई थी। डॉ. नायक के साथ आयोग की सदस्यगण श्रीमती लक्ष्मी वर्मा और श्रीमती सरला कोसरिया भी मौजूद रहीं। आयोग ने कई संवेदनशील मामलों में निर्देश जारी करते हुए महिलाओं को न्याय दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाए।
फर्टिलिटी सेंटर के नाम पर मातृत्व से धोखा
एक अहम प्रकरण में आवेदिका ने दो डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाए कि उन्होंने उसे मातृत्व के अधिकार से वंचित किया। आरोप था कि संरक्षित भ्रूण को उसकी जानकारी के बिना स्थानांतरित किया गया और जानकारी मांगने पर जवाब देने से इनकार कर दिया गया। साथ ही, जबरन अतिरिक्त शुल्क भी वसूला गया।
इस पर आयोग ने स्पष्ट किया कि यह धोखाधड़ी का मामला है और आवेदिका को रिकवरी सूट, सिविल न्यायालय या उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है।
शिक्षकों का वेतन विवाद
एक अन्य मामले में स्कूल की महिला शिक्षिकाओं ने प्रभारी प्राचार्य पर वेतन और भविष्य निधि न देने, और बार-बार नोटिस भेजने की शिकायत की। आयोग ने स्कूल प्रबंधन और शिक्षिकाओं को आपसी चर्चा से समाधान निकालने का सुझाव दिया। यदि समाधान नहीं निकलता, तो शिक्षिकाओं को स्कूल प्रबंधन के नाम-पते के साथ आयोग में जानकारी देने को कहा गया है। आयोग ने 15 दिन के भीतर स्थिति से अवगत कराने का निर्देश दिया है।
भाई-बहन में संपत्ति विवाद, मां भी हुईं शामिल
एक पारिवारिक विवाद में भाई-बहन संपत्ति को लेकर आमने-सामने थे। 75 वर्षीय मां ने भी सुनवाई में भाग लिया। पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी को लेकर विवाद था, लेकिन सुलह नहीं हो पाई। आयोग ने कहा कि दोनों पक्ष दिवानी न्यायालय में जाकर संपत्ति का उचित बंटवारा करवा सकते हैं। मामला नस्तीबद्ध किया गया।
पति की मृत्यु के बाद संपत्ति पर विवाद
पति की मृत्यु के बाद एक महिला ने शिकायत की कि उसके जेठ ने उसकी संपत्ति पर कब्जा कर रखा है और खर्च के लिए पैसे नहीं दे रहा है। अनावेदक ने बताया कि महिला के नाम पर कई वाहन और जमीन हैं। आयोग ने उसे निर्देश दिया कि सभी दस्तावेजों के साथ आयोग में प्रस्तुत हो, जिससे सही स्थिति का निर्धारण हो सके।
पुत्री की शिक्षा को लेकर माता-पिता में विवाद
एक प्रकरण में पति-पत्नी, जो पांडुका में कार्यरत हैं, की आठ वर्षीय पुत्री रायपुर में अपने नाना-नानी के साथ रह रही है। पति ने पत्नी पर सोशल मीडिया के जरिए अन्य पुरुषों से संपर्क का आरोप लगाया, वहीं पत्नी ने मारपीट की शिकायत की।
आयोग ने दोनों को चेतावनी दी और निर्देश दिया कि, 15 दिनों के भीतर बच्ची का पांडुका के स्कूल में दाखिला कराया जाए।पति मारपीट और दुर्व्यवहार से बचे। पत्नी भी किसी से चैटिंग ना करे। यह मामला 1 वर्ष के लिए आयोग की निगरानी में रखा गया है।
डाॅ. किरणमयी नायक ने कहा कि, माता-पिता अपने आपसी झगड़ों में बच्चों का भविष्य खराब न करें। बच्चों की परवरिश और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। बहरहाल, आज की जनसुनवाई में यह स्पष्ट हुआ कि महिला आयोग केवल शिकायत सुनने का मंच नहीं है, बल्कि वह समाधान, सुरक्षा और न्याय की दिशा में गंभीर प्रयास कर रहा है। चाहे चिकित्सा से जुड़ा धोखा हो, कार्यस्थल पर उत्पीड़न या पारिवारिक विवाद, हर महिला को न्याय दिलाने के लिए आयोग तत्पर है।
