ED Case : पूर्व मंत्री कवासी लखमा को नहीं मिली राहत…! हाईकोर्ट ने की जमानत याचिका खारिज…लखमा का पक्ष सुनकर अदालत ने लिया ये फैसला


रायपुर/बिलासपुर, 12 सितंबर। ED Case : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को बड़ा झटका देते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने माना कि लखमा पर लगे आरोप गंभीर आर्थिक अपराध की श्रेणी में आते हैं और जांच अभी जारी है। ऐसे में उन्हें जमानत दिए जाने से सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
ये है मामला
कवासी लखमा को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 15 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया था। ईडी का आरोप है कि लखमा ने वर्ष 2019 से 2023 के बीच राज्य में एफएल-10ए लाइसेंस नीति लागू कर अवैध शराब व्यापार को बढ़ावा दिया। जांच एजेंसी के मुताबिक, इस नीति के जरिए बने शराब सिंडिकेट से उन्हें हर महीने लगभग 2 करोड़ रुपए की अवैध आय होती थी। कुल मिलाकर यह राशि 72 करोड़ रुपए से अधिक आंकी गई है।
लखमा का पक्ष
लखमा ने अपनी याचिका में कहा कि यह मामला राजनीतिक साजिश का हिस्सा है और उनके खिलाफ आरोप सह-अभियुक्तों के बयानों पर आधारित हैं। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि मामले में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और सह अभियुक्तों, अरुणपति त्रिपाठी, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनिल टुटेजा और अरविंद सिंह को सुप्रीम कोर्ट से पहले ही जमानत मिल चुकी है।
अदालत का फैसला
हालांकि, ईडी ने इन दलीलों का कड़ा विरोध किया और अदालत को बताया कि लखमा इस पूरे षड्यंत्र में मुख्य भूमिका निभा रहे थे। उनकी रिहाई से जांच प्रभावित हो सकती है। कोर्ट ने इस तर्क से सहमति जताई और कहा कि यह मामला अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। इसलिए जमानत नहीं दी जा सकती।
वर्तमान स्थिति
लखमा इस समय रायपुर सेंट्रल जेल में न्यायिक हिरासत में हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद उनकी कानूनी टीम अब सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है।
मामले के प्रमुख बिंदु
- ईडी ने कवासी लखमा को 15 जनवरी को किया था गिरफ्तार
- आरोप: एफएल-10ए नीति के जरिए शराब सिंडिकेट को संरक्षण
- कथित अवैध कमाई: करीब 72 करोड़ रुपए
- हाईकोर्ट ने कहा: आरोप गंभीर, जमानत से जांच प्रभावित हो सकती है
- सह-अभियुक्तों को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, लेकिन लखमा की याचिका खारिज